7 May 2017

मनुष्य मष्तिष्क की विस्मयकारी स्मृति शक्ति को जान लो. हम १% भी यूज़ नहीं करते.

मनुष्य के मस्तिष्क के बारे में किये गए वैज्ञानिक संशोधन यह साबित करते हे की मस्तिष्क की क्षमताओं का पूर्ण ख्याल कभी भी नहीं आ सकता. मानवी ने बनाये हुए सुपर कंप्यूटर भी ईश्वर के आगे एकदम मामूली साबित हुए हे. आइये जानते हे हम आज मनुष्य मस्तिष्क के बारे में रोचक तथ्य :
मनुष्य मस्तिष्क में  एक बिलियन न्यूरॉन्स हे. हर न्यूरॉन अन्य न्यूरॉन के साथ १००० सहसबंध स्थापित करते हे अर्थात एक ट्रिलियन से भी ज्यादा जोड़ बनती हे. हमारे कंप्यूटर में बहोत थोड़े गीगाबैट्स की स्टोरेज होती हे. जबकि मस्तिष्क में अंदाजित २.५ परबीट्स स्टोरेज होती हे. एक मिलियन गीगाबैट्स मिलकर एक पैराबीट्स होते हे.  थोड़े वर्ष पूर्व  " CYBERNATICS WITHIN US " बुक्स में लिखा था की मनुष्य मगज़ १ सेकंड में १४० ट्रिलियन * ५० लैस = जो संख्या आती हे , उसके जितने छापे हुए पृष्ठ याद रखने की क्षमता रखता हे. सोचो अगर मनुष्य मस्तिष्क १ सेकंड में इतने पृष्ठ याद रख सकता हे तो जीवनभर के समय दौरान कितना याद रख सकता हे ?
मस्तिष्कविज्ञानि कहते हे की सामान्य रूप से मनुष्य मस्तिष्क उसके पुरे जीवनकाल में प्राप्त जानकारी का १०० वा भाग ही स्मरणशक्ति की माइक्रोफिल्म्स के रूप में संगृहीत करता हे अर्थात की हमे प्राप्त १०० जानकारिओं में से हम ९९ तो सहज रूप से भूल जाते हे. कई बार किसी व्यक्ति में कई असाधारण स्मृति या क्षमता देखने को मिलती हे. शरीरविज्ञानिओ उसे अपवाद कहते हे . परन्तु परामनोवैज्ञानिक उसे " अतीन्द्रिय शक्ति " का चमत्कार कहते हे. आदि शंकराचार्य , वल्लभाचार्य महाप्रभुजी, चैतन्य महाप्रभु और स्वामी विवेकानंद जैसे दैवी पुरुषो में ऐसी असाधारण मानसिक क्षमता देखने को मिली थी. आदि शंकराचार्य तो अत्यंत नन्नी सी वय में ही ४ वेद, उपनिषदों, पुराणों का अभ्यास पूरा कर लिया था. इतना ही नहीं उनको स्मृतिबद्ध भी कर लिया था. श्री वल्लभाचार्य महाप्रभुजी ने  पंडितो  की महासभा में वेदो को कंठस्थ बोलकर बताया था. इतना ही नहीं उसके अनुलोम और विलोम प्रकार के पाठ को भी कर के दिखाया था. अनुलोम मतलब एक शब्द बोलना, दूसरे शब्द को छोड़ देना, तीसरा बोलना, चौथे को छोड़ देना... इस तरह श्लोको का स्पीड से उच्चारण करना.   विलोम प्रकार के पाठ में अनुलोम से उलटी क्रिया होती हे. 


चैतन्य महाप्रभु  " एक श्रुतिधर " थे . एकबार एक पंडित के साथ उनका शाश्त्रार्थ हुआ. उस पंडित ने १०० पंक्तिओ के एक प्रसिद्ध स्त्रोत्र चैतन्य महाप्रभु को गान कर के सुनाया. सुनाने के बाद उन्होंने स्त्रोत्र के बिच की एक पंक्ति का आरंभ का शब्द दे कर चैतन्य महाप्रभु को स्त्रोत्र वहा से गाने के लिए आह्वाहन किया. चैतन्य महाप्रभु ने वह पंक्ति ही नहीं , पूरा स्त्रोत्र क्रमबद्ध तरीके से  उसी क्रम में ही गाकर बताया. स्वामी विवेकानद भी फोटोग्राफिक मेमोरी थी. किसी भी पुस्तक पर नजर डाल के पढ़ के तुरंत याद रख सकते थे. थोड़ी ही मिनटों में पूरा पुस्तक पढ़कर पूरा याद रख सकते थे और वो भी क्रमबद्ध शब्दश: .

इज़रायल में रहनेवाला जॉन जेकोब नाम का एक व्यक्ति भी असाधारण स्मृति क्षमता का स्वामी था.  वह येरूशलेम में रहता था . वह १ लाख वार्ता , २० हजार कविता और १५ हजार व्यक्तिओ के नाम और ऐड्रेस साथ में याद रख सकता था. सेकड़ो लोगो ने जेकब की इस विशिष्ट माइंड पावर की परीक्षा ली थी.  एकबार जेकब के पडोशी ने उस की परीक्षा लेने के लिए उनको "सी " शब्द से शुरू होनेवाली सब कविता बोलने के लिए कहा. जेकब ने कड़कड़ाट बीना रुके कविता का गान करने लगा. एक घंटे में १५० कविता गा कर बताई और आगे गाने जा रहा था तब पडोशी ने बिच में रुकवाकर अपनी हार मान ली और जेकब की क्षमता को स्वीकार किया. 
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