जिस तरह से भूटान जैसा नन्ना देश " ग्रीन मैनेजमेंट " कर के आगे बढ़ रहा हे. वो देख के अमेरिका और यूरोप जैसे विकसित देश मुह में उंगलिया डाल गए हे. अभी भूटान विश्व का " ग्रीनेस्ट कंट्री " हे.
भूटान पृथ्वी पर की ऐसी जगह हे जहां जितना ऑक्सीजन यूज होता हे , उससे ज्यादा उत्पन होता हे. हिमालय की गोद में बिराजमान इस देश में ७० % जमीन पर जंगल हे. भूटान में फ़क्त ७.५ लाख जितनी बस्ती हे. भूटान की इस " ग्रीन सक्सेस " का श्रेय भूटान के चौथे राजा जिग्मे सिंग्ये वांगचुक को जाता हे. वर्ष १९७० में वांगचुक ने विश्व को ग्रॉस नेशनल हैप्पीनेस का विचार दिया था. वो एक ऐसे समाज का निर्माण करना चाहते थे. जो भौतिकवाद नहीं मगर बौद्ध वाद के पाए पर खड़ा हो.
भूटान ने जंगलो को सुन्दर रखने के लिए जड़बे सलाक नीति बनाई हे . वहां चनगुमांगू प्रवासियो को काबू में रखने के लिए प्रवासी दीठ २५० डॉलर वसूल किये जाते हे. ख़ास बात ये ही की भारतीय प्रवासियो को यह बाबत लागू नहीं होती.
भूटान पृथ्वी पर की ऐसी जगह हे जहां जितना ऑक्सीजन यूज होता हे , उससे ज्यादा उत्पन होता हे. हिमालय की गोद में बिराजमान इस देश में ७० % जमीन पर जंगल हे. भूटान में फ़क्त ७.५ लाख जितनी बस्ती हे. भूटान की इस " ग्रीन सक्सेस " का श्रेय भूटान के चौथे राजा जिग्मे सिंग्ये वांगचुक को जाता हे. वर्ष १९७० में वांगचुक ने विश्व को ग्रॉस नेशनल हैप्पीनेस का विचार दिया था. वो एक ऐसे समाज का निर्माण करना चाहते थे. जो भौतिकवाद नहीं मगर बौद्ध वाद के पाए पर खड़ा हो.
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